Gyanendra Shukla, Editor, UP: हालिया संपन्न हुए आम चुनाव में यूपी में आए चुनावी नतीजों के बाद जहां सपा-कांग्रेस गठबंधन का बोलबाला रहा वहीं, बीजेपी खेमे को बड़ा नुकसान सहना पड़ा। अभी ये सभी पार्टियां चुनावी नतीजों की समीक्षा भी पूरी नहीं कर सकी हैं कि अब जल्द एक और चुनावी इम्तिहान मुंह बाए खड़ा हो गया है। विधानसभा की रिक्त हुई सीटों पर होने वाले उपचुनाव की शक्ल में सियासी दल एक और बड़ी और कड़ी चुनावी अग्निपरीक्षा की राह से गुजरने जा रहे हैं।
17 विधायकों ने चुनावी दांव आजमाया, कामयाबी मिली नौ को
गौरतलब है कि हालिया आम चुनाव में यूपी में 13 विधायक और 4 एमएलसी भी चुनावी मैदान में उतरे थे। इन 17 में से 9 सांसद बनने में कामयाब हो गए। इनमें सपा के चार, बीजेपी के तीन, निषाद पार्टी और रालोद के एक-एक विधायक सांसद बन गए हैं। बीजेपी के एक एमएलसी जितिन प्रसाद भी सांसद बन गए हैं। इन सभी की छोड़ी हुई सीटों पर अगले छह महीनों के भीतर ही उपचुनाव होने हैं।
बीजेपी के तीन विधायक, निषाद पार्टी व रालोद के एक-एक विधायक सांसद बने
गाजियाबाद में बीजेपी विधायक अतुल गर्ग सांसद बन गए हैं। अलीगढ़ की खैर सीट के विधायक अनूप वाल्मीकि हाथरस से सांसद चुने गए हैं। फूलपुर विधायक प्रवीण पटेल इसी संसदीय सीट से चुनाव जीत चुके हैं। मिर्जापुर के मझवां से निषाद पार्टी के विधायक डॉ विनोद बिंद अब भदोही से बीजेपी सांसद निर्वाचित हो चुके हैं। साल 2022 में सपा के साथ गठबंधन के तहत मीरापुर सीट से रालोद विधायक चंदन चौहान अब बिजनौर से बीजेपी-रालोद गठबंधन के तहत रालोद प्रत्याशी के तौर पर चुने जा चुके हैं। विधान परिषद सदस्य और यूपी के कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद अब पीलीभीत सीट से सांसद बन चुके हैं।
सपा खेमे के चार विधायक सांसद बनने में हुए कामयाब
मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से विधायक अखिलेश यादव अब कन्नौज से सपा सांसद बन चुके हैं। अयोध्या की मिल्कीपुर सीट के विधायक अवधेश प्रसाद अब फैजाबाद से सपा सांसद चुने जा चुके हैं। कटेहरी से विधायक लालजी वर्मा अब अंबेडकरनगर संसदीय सीट से चुनाव जीत चुके हैं। मुरादाबाद की कुंदरकी सीट से विधायक जियाउर रहमान बर्क अब संभल सांसद चुने जा चुके हैं। यूपी के पश्चिमी-मध्य और अवध हिस्सों की ये विधानसभा सीटें खाली हो रही हैं। इन पर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों ने जोर आजमाइश शुरू कर दी है।
केंद्रीय मंत्री बनने के बाद जितिन प्रसाद ने पीडब्लू मंत्री का दायित्व छोड़ा
तीन साल पहले साल 2021 में कांग्रेस से नाता तोड़कर जितिन प्रसाद ने बीजेपी का दामन थामा था। जिसके बाद बीजेपी ने इन्हें विधान परिषद में भेजा। योगी आदित्यनाथ 2.0 सरकार में जितिन प्रसाद को पीडब्ल्यूडी महकमे के कैबिनेट मंत्री की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई। हालिया हुए आम चुनाव में जितिन प्रसाद ने वरुण गांधी के संसदीय क्षेत्र रहे पीलीभीत से जीत दर्ज की। अब इन्हें मोदी 3.0 सरकार में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में राज्य मंत्री की कमान दी गई है। केंद्रीय दायित्व निभाने के लिए जितिन प्रसाद ने यूपी के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। अब इनकी विधान परिषद में रिक्त हुई सीट पर उपचुनाव होना है।
सपा सुप्रीमो के अगले कदम की ओर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं
करहल विधानसभा सीट से विधायक सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव कन्नौज सीट से 1,70,922 वोटों की बड़ी जीत दर्ज कर चुके हैं। तय है कि वह दिल्ली की सियासत में सक्रिय रहेंगे। चूंकि अखिलेश यादव यूपी में नेता प्रतिपक्ष के पद पर भी हैं। ऐसे में विधानसभा से इस्तीफा देने पर उनकी जगह कौन इस अहम जिम्मेदारी को संभालेगा इसे लेकर भी कई नाम चर्चा में हैं। जिनमें शिवपाल सिंह यादव के अलावा सपा के पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक )फार्मूले के तहत राम अचल राजभर, इंद्रजीत सरोज और कमाल फारूकी के नाम भी चर्चा का केंद्र बने हुए हैं।
बहुचर्चित रहे अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर होंगे उपचुनाव
अयोध्या की मिल्कीपुर सुरक्षित सीट से सपा विधायक रहे अवधेश प्रसाद अब फैजाबाद सांसद बन चुके हैं। इनके द्वारा रिक्त की जा रही मिल्कीपुर सीट पर होने वाले उपचुनाव की ओर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी क्योंकि ये अयोध्या की अहम सीट है। इस सीट से अवधेश प्रसाद की पत्नी सोना देवी और बेटे अजित प्रसाद के नाम की चर्चा चल रही है तो वहीं, बीजेपी खेमा भी यहां मिली शर्मनाक हार से उबरने के लिए इस सीट को जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाने को कमर कसने जा रहा है।
सपा विधायक को मिली सजा, रिक्त होने वाली है एक और विधानसभा सीट
कानपुर के सीसामऊ विधानसभा सीट से विधायक इरफान सोलंकी को कानपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने आगजनी के मामले में सात साल की सजा सुना दी है। विधिक प्रावधानों के अनुसार इनकी विधानसभा सदस्यता स्वतः समाप्त हो गई है। जल्द ही सीसामऊ सीट को रिक्त घोषित कर दिया जाएगा। इरफान सोलंकी के खिलाफ 18 मामलों में विधिक प्रक्रिया प्रचलित है। जाहिर है इस सीट पर भी जल्द ही चुनाव का ऐलान हो जाएगा। हाजी मुश्ताक सोलंकी की विरासत वाली इस सीट पर जल्द ही चुनावी इम्तेहान होगा।
फिलहाल, मौजूदा चुनावी हार की समीक्षा के साथ-साथ अब यूपी में सियासी दल आगामी चुनावी चुनौती के लिए भी तैयारी के लिए जुटने जा रहे हैँ। आम चुनाव की जीत-हार से मिले संदेश और सबक उपचुनाव में कितने कारगर रहते हैं ये सवाल सबके जेहन में बना रहेगा।