ब्यूरो: Gyanendra Shukla, Editor, UP: आम चुनाव के नतीजों के बाद भले ही एनडीए और इंडिया गठबंधन घटी-बढ़ी सीटों को लेकर मलाल कर रहा हो लेकिन जिस पार्टी में सबसे अधिक सन्नाटा है वह है मायावती के नेतृत्व वाली बीएसपी। कभी अपने दम पर यूपी की सत्ता पर काबिज होने वाली बीएसपी की लोकसभा सीटों का आंकड़ा शून्य हो चुका है, पार्टी का वोट शेयर दहाई से भी नीचे सरक चुका है। पराभव के इस दौर से उबरने के लिए पार्टी सुप्रीमो मायावती बहुआयामी रणनीति पर अमल करने की तैयारी में हैं।
बीएसपी का लगातार गिरता जा रहा है चुनावी ग्राफ
साल 2024 के चुनाव में यूपी में 37 सीटें जीतकर समाजवादी पार्टी पहले पायदान पर जा पहुंची। 33 सीटों के साथ बीजेपी दूसरे और छह सीटों वाली कांग्रेस तीसरे पायदान पर है। पर बीएसपी अपना खाता तक नहीं खोल सकी। साल 2012 के बाद से कांशीराम द्वारा स्थापित पार्टी का चुनावी ग्राफ गिरता ही चला गया। पिछले विधानसभा चुनाव में इसे एक सीट मिली और वोटशेयर 12.8 फीसदी हो गया। जबकि इस बार के आम चुनाव में पार्टी का वोट शेयर दहाई से नीचे लुढ़ककर 9.19 फीसदी पर जा पहुंचा। गौर करने की बात है कि साल 2014 में 19.77 फीसदी वोट पाने वाली बीएसपी का वोट शेयर 2019 में 19.43 फीसदी हो गया था तब बीएसपी ने दस सीटें जीती थीं। पर इस बार पार्टी ने पिछली बार की तुलना में 10.04 फीसदी वोट गंवा दिए। पार्टी के परंपरागत समर्थक माने जाने वाले जाटव वोटर भी छिटक गए। सूबे की अस्सी सीटों में से 79 सीटों पर बीएसपी के प्रत्याशी तीसरे नंबर पर जा पहुंचे।
बेहद खराब प्रदर्शन वाली सीटों पर संगठन के जिम्मेदारों पर गिरी गाज
चुनावी नतीजे आने के अगले ही दिन पांच जून को बीएसपी मुखिया मायावती ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र से हार के कारणों पर विस्तृत रिपोर्ट तलब की थी। इसे लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं संग बैठक की। जिन क्षेत्रों में पहले से भी ज्यादा खराब प्रदर्शन रहा, वहां के कोऑर्डिनेटर से लेकर जिला स्तर के पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश जारी कर दिए थे। इसी कड़ी में हरियाणा में तो सीधे प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सोरखी को ही हटाकर धर्मपाल तिगरा को जिम्मा सौंपा गया। यूपी में प्रयागराज के बीएसपी के पूर्व मंडल प्रभारी अशोक कुमार गौतम और कौशांबी से लोकसभा प्रत्याशी शुभ नारायण गौतम को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। इलाहाबाद के जिलाध्यक्ष आरबी त्यागी को हटाकर पंकज गौतम को जिम्मा दिया गया। जल्द ही यूपी के कई अन्य पदाधिकारियों सहित अन्य राज्यों के बीएसपी प्रभारियों को भी अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
मंडलीय व्यवस्था की जगह सेक्टर व्यवस्था लागू
बीएसपी ने यूपी में पार्टी संगठन के लिए मंडलीय व्यवस्था खत्म कर दी है। अब उसकी जगह पर सेक्टर व्यवस्था लागू कर दी है। जिसके तहत सूबे को छह सेक्टरों में बांटा गया है। हर सेक्टर में दो से लेकर चार मंडल हैं। अयोध्या, देवीपाटन, बस्ती और गोरखपुर मंडल का एक सेक्टर बनाया गया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल को इस सेक्टर का मुख्य इंचार्ज बनाया गया है। अलीगढ़, आगरा, कानपुर और प्रयागराज सेक्टर में शमसुद्दीन राइन के साथ सूरज सिंह जाटव और परवेज कुरील की तैनाती की गई है। मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद और बरेली का मुख्य जोन इंचार्ज का जिम्मा मुनकाद अली को दिया गया है। मिर्जापुर, वाराणसी और आजमगढ़ को मिलाकर एक सेक्टर बनाया गया है। साथ ही लखनऊ झांसी, चित्रकूट का अलग सेक्टर बनाया गया है जिसकी कमान शमसुद्दीन राइन को सौंपी गई है।
उपचुनाव में हिस्सा लेने के बाबत पार्टी सुप्रीमो की हरी झंडी
लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद मायावती ने उपचुनाव में प्रत्याशी उतारने का संकेत दे दिया है। दरअसल, बीएसपी उपचुनाव लड़ने से बचती आई है। जिन दस सीटों पर चुनाव होने हैं उनमें फूलपुर, मझवा, मीरापुर, मिल्कीपुर, करहल, कुंदरकी, गाजियाबाद, कटेहरी और खैर विधानसभा सीट है। इन सीटों के विधायक सांसद बन चुके हैं। साथ ही कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट भी सपा विधायक इरफान सोलंकी को सजा मिलने के बाद रिक्त हो चुकी है। अब मायावती ने इन सभी सीटों पर पार्टी कोऑर्डिनेटर को मजबूत प्रत्याशी खोजने का निर्देश दे दिया है। जाहिर है आगामी उपचुनाव में सभी सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला नजर आ सकता है।
रविवार को होने वाली बैठक की ओर है सबकी निगाहें
23 जून को बीएसपी की राष्ट्रीय स्तरीय अहम बैठक लखनऊ में आयोजित होने जा रही है। इसमें सभी राज्यों के पार्टी प्रभारी व पदाधिकारी शामिल होंगे। साथ ही यूपी के जोन, मंडल कोऑर्डिनेटर और जिलाध्यक्ष भी बुलाए गए हैं। पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इस सामूहिक बैठक में चुनावी हार की व्यापक समीक्षा की जाएगी। बीएसपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आनंद को पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर सरीखी अहम जिम्मेदारी भी दी जा सकती है। कई राज्यों के प्रभारियों में बदलाव के साथ ही बीएसपी को नए सिरे से खड़ा करने के ब्लूप्रिंट के बारे भी पार्टी जनों को जानकारी दी जाएगी।