Friday 22nd of November 2024

जम्मू-कश्मीर के चुनाव: सपा की दस्तक, उम्मीदें-हकीकत!!!

Reported by: Gyanendra Kumar Shukla  |  Edited by: Deepak Kumar  |  October 01st 2024 04:55 PM  |  Updated: October 01st 2024 04:55 PM

जम्मू-कश्मीर के चुनाव: सपा की दस्तक, उम्मीदें-हकीकत!!!

ब्यूरो: जम्मू कश्मीर के चुनाव अपने अंतिम चरण में पहुंच गए। दस साल बाद घाटी में हो रही चुनावी कवायद में नतीजों को अपने हक में करने के लिए सियासी दलों ने जमकर मशक्कत की। यहां यूं तो मुख्य मुकाबला नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन, बीजेपी और पीडीपी के बीच में ही दिखा पर यूपी की समाजवादी पार्टी ने भी यहां अपनी ओर से भरपूर दस्तक दी है। खुद को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाने की ख्वाहिशमंद समाजवादी पार्टी की इस चुनावी कवायद और उससे जुड़े संदेशों व अन्य  पहलुओं की चर्चा करते हैं।

जम्मू कश्मीर चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन न हो पाने के बाद सपा ने बीस प्रत्याशी उतारे

समाजवादी पार्टी ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए जिन 20 प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाया उनमें शामिल हैं, हजरतबल से शाहिद हसन, बडगाम से मकबूल शाह, बीरवाह से निसार अहमद डार, हब्बा कदल से मोहम्मद फारूक खान, ईदगाह से मेहराजुद्दीन अहमद। जबकि बारामूला से मंजूर अहमद, बांदीपोरा गुलाम मुस्तफा, वगूरा क्रीरी से अब्दुल गनी डार, करनाह से सजवाल शाह, पट्टन से वसीम गुलजार, कुपवाड़ा से सबीहा बेगम, गुलमर्ग से हिलाल अहमद मल्ला, रफियाबाद से ताहिर सलमानी, त्रेहगाम से साजाद खान, लोलाब से शादाब साहीन को प्रत्याशी बनाया गया। इनके साथ ही बिश्नाह से तरसीम खुल्लर, विजयपुर से इंद्रजीत, उधमपुर पश्चिम से साहिल मन्हास, चेनानी से गीता मन्हास और नगरोटा से सतपाल को चुनाव मैदान में उतारा। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों की वजह से 'इंडिया' गठबंधन की पार्टियों को चार सीटों पर कड़ी चुनौती मिली है। ये सीटें हैं, बारामूला, उधमपुर पश्चिम, बांदीपोरा और वगूरा क्रीरी।

कश्मीर घाटी की चुनावी फिजा सपा के लिए अब तक मुफीद नहीं रही

यूं तो समाजवादी पार्टी जम्मू कश्मीर के चुनाव में कई बार दांव आजमा चुकी है। पर इसकी पकड़ घाटी में कभी मुकम्मल न हो सकी। ज्यादातर चुनाव में पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई। साल 2008 में सपा के तत्कालीन सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की अगुवाई में पार्टी ने जम्मू कश्मीर में 36 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन महज 0.61 फीसदी यानी 24194 वोट ही मिल सके थे। एक भी सीट पार्टी को नसीब न हो सकी थी बल्कि सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी। साल  2014 में घाटी की सात विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ी समाजवादी पार्टी को 0.10 फीसदी यानी  4985 वोट ही मिले थे। तब भी न तो खाता खुला और न ही प्रत्याशियों की जमानत महफूज रह सकी।

इस बार घाटी में नई उम्मीदों संग नए सिरे से व्यूह रचना की सपा थिंक टैंक ने 

दस वर्ष बाद जब चुनाव के ऐलान हुए थे तभी से सपाई खेमा घाटी मे सक्रिय हो गया था। हालांकि यहां कांग्रेस से गठबंधन की बात परवान न चढ़ सकी तो अखिलेश की पार्टी ने स्थानीय समीकरणों के लिहाज से प्रत्याशियों का चयन पर फोकस किया। यूपी सहित देश के कुछ हिस्सों में मुस्लिम वोटरों के दरमियान अपनी गहरी पैठ के असर को पार्टी घाटी में भी आजमाना चाहती थी। पार्टी रणनीतिकारो का मत रहा कि अगर पार्टी को कुछ सीटों पर भी कामयाबी मिलती है तो एक ओर तो उसके पास यूपी से बाहर एक अहम सूबे में पकड़ मजबूत होने का मुद्दा मिलेगा तो दूसरी ओर अन्य राज्यों के मुस्लिम वोटरों में बड़ा संदेश दिया जा सकेगा। खासतौर से महाराष्ट्र में पार्टी के हक में नैरेटिव बन सकता है क्योंकि वहां भी मुस्लिम वोटरों की बड़ी तादाद है।

इंडिया गठबंधन की दरार के संग सैफई परिवार की रार भी झलकी चुनावी तैयारी में

जम्मू कश्मीर के चुनाव में इंडिया गठबंधन में एकजुटता का माहौल बनते नहीं दिखा। समाजवादी पार्टी ने बीस प्रत्याशी उतार दिए जो कई सीटों पर नेशनल कांफ्रेस-कांग्रेस को ही चुनौती देते दिखे तो उधमपुर पश्चिम में इंडिया गठबंधन के एक और घटक शिवसेना (उद्धव गुट) ने भी प्रत्याशी उतार दिया। वहीं, सैफई परिवार में बीते दौर की अलगाव की परछाई भी नजर आई। दरअसल, जम्मू कश्मीर के चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी के स्टार  प्रचारकों में अखिलेश यादव के अलावा पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा, सांसद अवधेश प्रसाद, धर्मेन्द्र यादव, इकरा हसन, प्रिया सरोज, हरेंद्र मलिक, पुष्पेंद्र सरोज, राज्यसभा सदस्य जावेद अली, विधायक कमाल अख्तर, विधान परिषद सदस्य जासमीर अंसारी, पूर्व विधान परिषद सदस्य उदयवीर सिंह, राष्ट्रीय सचिव रामआसरे विश्वकर्मा के अलावा जम्मू-कश्मीर के कई नेताओं के नाम शामिल रहे पर इस फेहरिस्त में शिवपाल सिंह यादव का नाम नदारद रहा। जिसने सैफई परिवार…

संदेश देने के मकसद से दांव आजमा रही सपा के लिए घाटी में बड़ी चुनौती

अल्पसंख्यक वोटरों खासतौर से मुस्लिम वोटरों में संदेश देने के लिए चुनावी दस्तक दे रही समाजवादी पार्टी ने घाटी के चुनाव के दूसरे और तीसरे चरण पर ही फोकस किया। दूसरे चरण की 15 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे तो तीसरे और अंतिम चरण की पांच सीटों पर दांव खेला है। फिलहाल, जम्मू कश्मीर के सपा नेता बेहतर चुनावी परफार्मेंस की उम्मीद पाले हुए हैं। समाजवादी पार्टी के ऊधमपुर चुनाव प्रभारी मणेन्द्र मिश्रा पीटीसी न्यूज से बातचीत में कहते हैं कि कई मुद्दों को लेकर घाटी की आवाम समाजवादी पार्टी से कनेक्ट होती दिखी, अग्निवीर के मुद्दे को लेकर अखिलेश यादव के रुख की जम्मू के युवा जमकर सराहना करते दिखे। वे कहते हैं कि उनकी पार्टी आम चुनाव में देश में तीसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी तो अब दूसरे राज्यों में भी अपना प्रभुत्व कायम करेगी।

वहीं, सियासी विश्लेषक मानते हैं कि आम चुनाव में यूपी में 37 सीटें जीतकर परचम फहराने वाली समाजवादी पार्टी कश्मीर में चुनाव लड़ तो रही है पर यहां उसके लिए पहली बार खाता खोलने की बड़ी और कड़ी चुनौती है। तमाम कोशिशों-मशक्कत और दावों की सारी तस्वीर 8 अक्टूबर को साफ हो जाएगी। जब जनादेश नतीजों की शक्ल में सामने आएगा। 

जम्मू कश्मीर के चुनाव से जुड़े रोचक तथ्य

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की 90 सीटों के लिए चुनावी प्रक्रिया अंतिम पड़ाव पर है। इनमें 47 सीटें घाटी में और 43 जम्मू संभाग की हैं। कुल नौ सीटें अनुसूचित जनजाति और 7 सीटें अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हैं। निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक सूबे के 87.09 लाख वोटरों में 42.6 लाख महिलाएं हैं। युवा वोटरों की तादाद 3.71 लाख है। फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस 51 सीटों पर और कांग्रेस 32 सीटों पर चुनावी गठबंधन के तहत चुनाव लड़े जबकि सीपीआई(एम) और जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी (जेकेएनपीपी) को एक-एक सीट पर चुनावी मैदान में उतारे। बीजेपी और पीडीपी ने सभी 90 सीटों पर चुनाव पर बिना किसी के संग गठबंधन के दांव आजमाया है। तीन चरणों के मतदान के नतीजे 8 अक्टूबर को आएंगे।

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