Sunday 7th of July 2024

Ayodhya Ram Navami 2024: सूर्य की किरणों ने किया रामलला का अभिषेक, अद्भुत नजारा देख झूमें भक्त

Reported by: PTC News Haryana Desk  |  Edited by: Deepak Kumar  |  April 17th 2024 02:40 PM  |  Updated: April 17th 2024 03:20 PM

Ayodhya Ram Navami 2024: सूर्य की किरणों ने किया रामलला का अभिषेक, अद्भुत नजारा देख झूमें भक्त

ब्यूरोः पूरे देश में रामनवमी की धूम है। आज धूमधाम के साथ मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्मोत्सव मना रहे हैं। 500 वर्ष के लंबे इंतजार के बाद प्रभु श्री राम के जन्म स्थान अयोध्या के भव्य राम मंदिर में भी पहली बार रामनवमी मनाई जा रही है। इस बार के रामनवमी में राम मंदिर में एक अनोखी घटना देखी गई। दरअसल, इस अवसर पर रामलला की मूर्ति के माथे पर भगवान सूर्य ने तिलक किया, जिसे 'सूर्य तिलक' के नाम से जाना जाता है। 

राम मंदिर में दर्पण और लेंस से जुड़ी एक विस्तृत प्रणाली के माध्यम से दोपहर में राम लला का "सूर्य तिलक" किया गया। इस अवसर को संभव बनाने के लिए मंदिर ट्रस्ट ने वैज्ञानिकों की एक टीम नियुक्त की थी। वैज्ञानिक विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए प्रकाश की एक किरण ने राम लला के माथे को रोशन किया। यह ठीक दोपहर 12 बजे करीब 3 मिनट तक किया गया। 5 मिनट तक रामलला का अभिषेक किया। इस पल को भारत के करोड़ों लोगों ने प्रसार भारती के माध्यम से घर पर ही देखा।

सूर्य तिलक के क्षण में खुशी से झूमे भक्त 

सूर्य तिलक के क्षण में भक्त खुशी से झूम उठे। देश भर के मंदिरों में भी जय श्री राम के नारे लगाए और राम जन्मभूमि मंदिर के बाहर भक्त नाच-गाने लगे। राम जन्मभूमि मंदिर में 56 प्रकार के भोग, प्रसाद और पंजीरी के साथ रामनवमी धूमधाम से मनाई जा रही है। वहीं, राम भक्तों ने मंदिर में रामलला के दर्शन करने से पहले सरयू नदी के पवित्र जल में डुबकी लगाई। बता दें मंदिर में दर्शन सुबह 3:30 बजे से शुरू हो गए थे। इस उत्सव का प्रसारण पूरे शहर में लगभग 100 एलईडी स्क्रीन पर किया गया। वहीं, राम मंदिर के कपाट 19 घंटे तक खुले रहेंगे।

भगवान को 56 तरह का भोग लगाया जाएगाः मुख्य पुजारी

इससे पहले राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने बताया कि सब कुछ सजा दिया गया है और भगवान राम की मूर्ति को दिन के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। उन्हें पीले कपड़े पहनाए गए हैं और इसके बाद उन्हें पंचामृत से स्नान कराया गया है। चार-पांच तरह की पंजीरी बनाई जाती हैं और इसके साथ ही भगवान को 56 तरह का भोग लगाया जाता है। 

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