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जल संकट के बीच दिल्ली को लगा तगड़ा झटका, हिमाचल सरकार ने अतिरिक्त पानी देने से किया इनकार

Reported by: PTC News Haryana Desk  |  Edited by: Deepak Kumar  |  June 13th 2024 03:44 PM  |  Updated: June 13th 2024 05:47 PM

जल संकट के बीच दिल्ली को लगा तगड़ा झटका, हिमाचल सरकार ने अतिरिक्त पानी देने से किया इनकार

ब्यूरोः भीषण गर्मी से पहले से बेहाल और पानी के लिए कराह रही दिल्ली को सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश से भी आज तगड़ा झटका लगा है। पड़ोसी राज्यों से अतिरिक्त पानी की मांग को लेकर सर्वोच्च न्यायालय पहुंची दिल्ली सरकार की याचिका पर अदालत ने हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है।

वहीं, हिमाचल प्रदेश सरकार ने दिल्ली को अतिरिक्त पानी भेजने से इनकार कर दिया है।  हिमाचल प्रदेश सरकार  ने कहा कि उसके पास राष्ट्रीय राजधानी को भेजने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है। इससे एक दिन पहले ही पहाड़ी राज्य ने कहा था कि उसने दिल्ली के लिए पानी छोड़ा है और आपूर्ति हरियाणा से होकर जानी है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश सरकार को राष्ट्रीय राजधानी को 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने का निर्देश दिया था और हरियाणा से कहा था कि वह इसके प्रवाह को सुगम बनाए। कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में पेयजल की कमी एक अस्तित्वगत समस्या बन गई है।

बीते दिन मीडिया से बात करते हुए हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य ने पानी छोड़ा है। हमने पानी छोड़ा है। हमने वकीलों से सुप्रीम कोर्ट को इस बारे में सूचित करने को कहा है। हमने जो पानी छोड़ा है, हम उसे देने के लिए तैयार हैं। इसमें कोई शक नहीं है।

हिमाचल सरकार के वकील ने आज यू-टर्न लेते हुए अदालत से कहा कि 137 क्यूसेक पानी सिंचाई और नदी के प्राकृतिक प्रवाह के हिस्से के इस्तेमाल के बाद नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि हम इसे पहले ठीक से नहीं बता पाए। हमारा सही बयान रिकॉर्ड में आ सकता है। हो सकता है कि हमने पहले कोई गलती की हो, लेकिन मुझे जानकारी दे दी गई है। मैं पहले दिए गए बयान को सही करूंगा और वापस ले लूंगा कि प्रवाह बाधित था। इस पर अदालत ने चेतावनी दी। 

अदालत ने कहा कि हम आपको अवमानना ​​के लिए पकड़ सकते हैं और आपके मुख्य सचिव को तलब कर सकते हैं। हिमाचल सरकार के वकील ने माफी मांगी और कहा कि वे हलफनामा दाखिल करेंगे और अपना पिछला जवाब वापस लेंगे। अदालत ने ऊपरी यमुना नदी बोर्ड से समस्या का समाधान खोजने को कहा है। इससे पहले बोर्ड ने कहा था कि हिमाचल प्रदेश को यह साबित करना चाहिए कि वह अदालत के 6 जून के फैसले के बाद दिल्ली के लिए 137 क्यूसेक अप्रयुक्त पानी छोड़ रहा है। न्यायालय के समक्ष दायर हलफनामे में बोर्ड ने हिमाचल प्रदेश द्वारा हरियाणा को भेजे गए पत्र का हवाला दिया है, जिसमें पहाड़ी राज्य ने कहा है कि उसके हिस्से का अप्रयुक्त पानी पहले से ही हथिनीकुंड बैराज में निर्बाध रूप से बह रहा है और हरियाणा को इसे दिल्ली को छोड़ देना चाहिए।

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