ब्यूरो: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में दुनिया का दूसरा सबसे लंबा रोपवे ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट बनने जा रहा है। प्रोजेक्ट को डेवलप करने की जिम्मेदारी रोपवे और रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के कंधों पर है। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि शिमला में यह रोपवे ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। उन्होंने बताया कि यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रोपवे ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट होगा।
मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि इसको लेकर सभी क्लीयरेंस और जरूरी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गई हैं। उन्होंने बताया कि हालांकि अभी वन विभाग से क्लीयरेंस ली जा रही है। मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि 1,555 करोड़ की लागत से यह प्रोजेक्ट तैयार किया जाएगा। जिसमें 13.79 किलोमीटर लंबा रोपवे का जाल शिमला में बिछाया जाएगा।
मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि इस पूरे रोपवे सिस्टम में 13 स्टेशन होंगे। इसके अलावा शुरुआती चरण में इस सिस्टम में 222 कैबिन लगाए जाएंगे और कंप्लीट स्टेज पर 660 कैबिन होगें। प्रत्येक कैबिन में 8 से 10 लोगों की ले जाने की क्षमता होगी। वहीं, 2 से 3 मिनट के भीतर स्टेशन पर लोगों के लिए कैबिन उपलब्ध हो जाएगा। प्रोजेक्ट पीपीपी मोड पर न्यू डेवलपमेंट बैंक के सहयोग से बनाया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश सरकार की भी इसमें हिस्सेदारी है और जल्द ही निर्माण की शुरुआत कर दी जाएगी।
पहला स्टेशन तारादेवी में बनेगा। इसके बाद ज्यूडिशियल कॉम्पलेक्स, टूटीकंडी पार्किंग, न्यू ISBT टूटीकंडी, रेलवे स्टेशन, ओल्ड ISBT शिमला, लिफ्ट, सचिवालय छोटा शिमला, नव बहार, संजौली, आईजीएमसी, आइस स्केटिंग रिंक और 103 नजदीक होटल चेतन पर 13 स्टेशन बनाए जाएंगे। रोपवे का किराया ज्यादा नहीं होगा। किराया बस किराए के आसपास ही होगा। मतलब लोगों को बस किराए में ही रोपवे की सुविधा सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई जाएगी। रोपवे से पर्यटन को तो बढ़ावा मिलेगी ही साथ ही स्थानीय लोगों को भी ट्रैफिक से छुटकारा मिलेगा।
उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि तारा देवी- शिमला रोपवे के बाद परवाणू से शिमला तक रोपवे बनाने के लिए काम शुरू हो गया है। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि इसकी लागत 6600 करोड़ रुपये आएगी। इसकी लंबाई 38 किलोमीटर होगी। यह दुनिया का सबसे लंबा रोपवे होगा।