Friday 20th of September 2024

हरियाणा: सिरसा में क्या है बीजेपी और कांडा का गेम प्लान? 'कांडा, कंडीशन और कांग्रेस' फैक्टर भारी!

Reported by: PTC News Haryana Desk  |  Edited by: Md Saif  |  September 20th 2024 11:38 AM  |  Updated: September 20th 2024 11:50 AM

हरियाणा: सिरसा में क्या है बीजेपी और कांडा का गेम प्लान? 'कांडा, कंडीशन और कांग्रेस' फैक्टर भारी!

ब्यूरो:  हरियाणा में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। नामांकन प्रक्रिया पूरी होने बाद अब सभी पार्टीयां सत्ता में काबिज होने के लिए एड़ी-चोंटी का जोर लगा रही हैं। हरियाणा में 3 विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा पहली बार 89 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस भी प्रदेश की 90 सीटों में से 89 सीटों पर मैदान में है। कांग्रेस ने 1 सीट सीपीआईएम के लिए छोड़ी है। हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं, जहां बीजेपी 90 सीटों पर चुनाव लड़ती आ रही है। इस बार भी बीजेपी की तैयारी सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने की थी, इसी मंशा के साथ पार्टी ने प्रदेश की सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। लेकिन अचानक भाजपा ने 1 सीट गोपाल कांडा के लिए छोड़ दी, इस फैसले से हर कोई हैरान है। 

कुछ दिनों पहले तक गोपाल कांडा जहां यह कहते नहीं थक रहे थे कि आने वाली सरकार भाजपा की होगी और हम उसके साथ समझौता करेंगे। वहीं अब कांडा ने अपने सुर को बदलते हुए कहा कि सिरसा की जनता कांग्रेस और भाजपा दोनों से ही परेशान हो चुकी है। वह ऐसी पार्टी को जिताना चाहती है जो सिरसा में राज ला सके। इसके बाद कांडा ने भाजपा के समर्थन मांगने से भी इनकार कर दिया। जाहिर सी बात है कि ये कहना उनकी इनेलो के साथ गठबंधन के बाद की मजबूरी है। कांडा ने कहा कि वह भाजपा का समर्थन नहीं चाहते। कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा ने सिरसा सीट पर डमी कैंडिडेट इसलिए उतारा है, ताकि कांडा की मदद की जा सके, लेकिन नामांकन वापसी से पहले भाजपा खुले तौर पर कांडा के लिए दोबारा एक्टिव हो गई और 16 सिंतबर को सिरसा सीट से अपने उम्मीदवार रोहताश जांगड़ा का नामांकन वापस ले लिया।

कांडा को समर्थन देने के पीछे क्या हैं बड़े कारण?

1. कांडा को समर्थन देकर कांग्रेस को सिरसा में रोकना

बीजेपी किसी भी कीमत पर नहीं चाहेगी कि सिरसा विधानसभा सीट कांग्रेस के खाते में जाए। भाजपा के लिए हमेशा से हर एक सीट खास होती है। इसलिए भाजपा हर सीट को खास मानकर चुनाव लड़ रही है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के दौरान सिरसा में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर था, इसलिए बीजेपी इस सीट पर फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। अगर बीजेपी इस सीट से गोपाल कांडा को समर्थन नहीं करती तो जाहिर सी बात है की यहां कांग्रेस विरोधी वोट बंट जाते, जिससे सीधा फायदा कांग्रेस को होगा।

2. सिरसा सीट की कंडीशन को अपने अनुकूल बनाना

गोकुल सेतिया की उम्मीदवारी से कांग्रेस की राह आसान होती दिख रही थी। अचानक कांग्रेस से बागी हुए नेता भी गोकुल का समर्थन करते नजर आ रहे थे। भाजपा जानती है कि इससे सीधा नुकसान गोपाल कांडा और भाजपा को ही होगा। इसलिए अब भाजपा भी एक्टिव हो गई है।

3. कांडा के मुकाबले को आसान बनाना

गोपाल कांडा हरियाणा की सिरसा बेल्ट में प्रभावशाली नेताओं में सबसे ऊपर हैं। बीजेपी के पास सिरसा में कांडा से बड़ा चेहरा नहीं है, इसलिए बीजेपी को अंदरखाने कहीं न कहीं पता है कि सिरसा की सीट सिर्फ कांडा ही निकाल सकते हैं। बीते लोकसभा चुनाव में गोपाल कांडा ने सिरसा बेल्ट पर भाजपा की मदद भी की थी। 

कांडा से लगाव और बिछड़ाव

1. इनेलो और बसपा गठबंधन

भाजपा की खट्टर और फिर सैनी सरकार को समर्थन करते गोपाल कांडा से गठबंधन करने पर आखिरी दौर तक कोई फैसली नहीं लिया गया था। हरियाणा में नामांकन प्रक्रिया  शुरू होने के एक दिन पहले तक भाजपा और कांडा में गठबंधन पर कोई फैसला नहीं लिया गया। इस स्थिति में  कांडा ने 12 सितंबर को आईएनएलडी और बसपा से गठबंधन कर लिया। बसपा और इनेलो दोनों ही इस चुनाव में भाजपा के खिलाफ मैदान में हैं।

2. भाजपा के वोटर के पास नहीं है कोई विकल्प

भाजपा के वोटर कभी भी कांग्रेस को वोट नहीं देंगे। इसलिए कांडा को अब यह भली भांति मालूम है कि भाजपा के वोटरों के पास अब उन्हें वोट डालने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। इससे कांडा को खुद के समर्थकों का तो वोट मिलेगा ही, साथ में कांडा को बीजेपी के वोटरों का भी पुरजोर समर्थन मिलेगा। जिससे भले ही कांग्रेस को लोकसभा में सिरसा से फायदा मिला हो, लेकिन कांडा समर्थकों और बीजेपी के वोटरों को साथ लाकर आसानी से सिरसा सीट कांग्रेस के हाथ से निकाली जा सकती है।

3. इनेलो क्यों है कांडा-भाजपा के समर्थन के खिलाफ?

12 सितंबर को इनेलो और कांडा के बीच गठबंधन हो गया था। हरियाणा में 10 साल तक पॉवर में रहने के बाद जाहिर सी बात है कि बाकि पार्टियां बीजेपी के खिलाफ लहर बनाने की कोशिश करेंगी। इसलिए भाजपा की सत्ता विरोधी लहर से बचने के लिए कांडा की भाजपा से दूरी जरूरी है। अगर कांडा खुले तौर पर बीजेपी का समर्थन लेते हैं तो इससे कांडा और इनेलो गठबंधन पर असर पड़ सकता है। साथ ही प्रदेश में 10 साल बाद इनेलो की स्थिति बेहतर हुई है, लेकिन सिर्फ सिरसा सीट की वजह से पूरे प्रदेश में इसका बुरा असर हो सकता है। क्योंकि कांग्रेस इलेक्शन कैंपेन में इसे मुद्दा बनाकर सत्ता विरोधी वोट बटोर सकती है। इनोलो यह भी जानती है कि कांडा को साथ रखकर ऐलनाबाद, रानिया और डबवाली  सीटों पर बढ़त बनाई जा सकती है।

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