Haryana Election 2024: भाजपा के बाद कांग्रेस में बगावत, क्या हाथ का सत्ता में आने का बिगड़ेगा समीकरण?
ब्यूरोः हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के बाद अब कांग्रेस में भी बगावत के तेवर दिखाई देने शुरू हो गए हैं। कांग्रेस की लिस्ट में अपना नाम होने के कारण कई नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। बता दें हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने 41 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए जा चुके हैं। बाकि बची 49 सीटों पर जल्द ही उम्मीदवारों की घोषणा होने की उम्मीद है।
वहीं, हरियाणा में कांग्रेस की ओर से 41 उम्मीदवारों की घोषणा करते नेता अपने पद और पार्टी से इस्तीफा देने लग पड़े हैं। वहीं, कई नेता पार्टी छोड़कर दूसरे में शामिल हो गए। इस अंदरूनी कलह से लगता है कि पार्टी के भीतर बढ़ती गुटबाजी और बगावत के कारण 10 साल बाद हरियाणा में सत्ता हासिल करने का कांग्रेस का सपना अधूरा रह सकता है।
कांग्रेस के इन नेताओं ने छोड़ी पार्टी
कांग्रेस के ये नेता लड़ेंगे निर्दलीय चुनाव
ये नेता उम्मीदवारी से नाराज
भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा में राजनीतिक टकराव
दूसरी ओर कुमारी शैलजा ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा की आलोचना करते हुए सवाल किया कि मुख्यमंत्री कौन होगा। उन्होंने खुद को सीएम पद का दावेदार बताया। अपने प्रचार के दौरान शैलजा ने कहा कि वह जहां भी जाती हैं, कार्यकर्ता उन्हें सीएम कहते हैं। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सरसा से सांसद और कांग्रेस महासचिव शैलजा कुमारी के बीच राजनीतिक टकराव स्पष्ट हो गया है। शैलजा ने सीएम पद के लिए अपनी दावेदारी जताई है, जबकि हुड्डा उम्मीदवार चयन को प्रभावित कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं हो पाया, जिसके चलते कांग्रेस ने 6 सितंबर 2024 को 32 उम्मीदवारों की दो सूची जारी की, जिसमें 28 मौजूदा विधायक शामिल हैं। रिपोर्ट बताती हैं कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस उम्मीदवारों की पहली सूची में कुमारी शैलजा को पछाड़ दिया है। इनमें से 28 हुड्डा गुट के हैं, जबकि 4 शैलजा गुट के हैं।
हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की स्थिति
2014 और 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल कर सरकार बनाई थी। कांग्रेस 10 साल से हरियाणा में सत्ता से बाहर है। पिछले चुनाव में भाजपा ने 40 सीटें जीती थीं जबकि कांग्रेस को 31 सीटें मिली थीं। भाजपा ने जेजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी, जिसने 10 सीटें जीती थीं।
इस बार कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करने का लक्ष्य बनाया था, लेकिन सीट बंटवारे को लेकर मतभेद के कारण यह विफल हो गया। नतीजतन, राहुल गांधी की आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन की प्राथमिकता के बावजूद कांग्रेस सभी 90 सीटों पर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस के भीतर आंतरिक संघर्ष और इस्तीफे आगामी चुनावों में पार्टी के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियों का संकेत देते हैं। परिणाम इस बात पर निर्भर करेगा कि वे इन मुद्दों को कितने प्रभावी ढंग से संभालते हैं और मतदाताओं के सामने एकजुट मोर्चा पेश करते हैं।