Friday 22nd of November 2024

Haryana Review Report: हरियाणा में दलबदलुओं पर दांव लगाना भाजपा को पड़ा भारी, साफ दिखी लोगों की नाराजगी

Reported by: PTC News Haryana Desk  |  Edited by: Rahul Rana  |  June 06th 2024 10:52 AM  |  Updated: June 06th 2024 10:52 AM

Haryana Review Report: हरियाणा में दलबदलुओं पर दांव लगाना भाजपा को पड़ा भारी, साफ दिखी लोगों की नाराजगी

चंडीगढ़: अभिषेक तक्षक: हरियाणा में दल बदलुओं पर दांव लगाना भाजपा को भारी पड़ा है। पिछले लोकसभा चुनावों में सभी दस सीटें जितनी वाली भाजपा को इस बार पांच सीटों पर मात खानी पड़ी है। भाजपा और कांग्रेस में इस दफा सीधा मुकाबला था। जननायक जनता पार्टी, इंडियन नेशनल लोकदल और बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवारों को लोगों ने पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया और इनमें से कोई भी अपनी जमानत बचाने में कामयाब नहीं हो पाया। 

भाजपा की हार के कई कारण रहे हैं। दूसरी पार्टी के नेताओं को भाजपा में शामिल कर टिकट देना सबसे बड़ा कारण रहा है। इनमें डॉ. अशोक तंवर को सिरसा और चौधरी रणजीत सिंह को हिसार से टिकट देना शामिल है। कुरुक्षेत्र सीट से नवीन जिंदल जरूर किसी तरह चुनाव जीतने में जरू कामयाब हो गए हैं जिंदल भी लोकसभा चुनावों के दौरान ही भाजपा में शामिल हुए थे और उन्हें फ़ौरन ही पार्टी ने टिकट थमा दिया था।

 राज्य में दस साल से भाजपा की सरकार है, इससे लोगों में नाराजगी थी और उन्होंने सत्ता के विरोध में वोट दिए। किसान आंदोलन ने भी भाजपा को नुकसान पहुंचाया। बेरोजगारी के मुद्दे पर भी भाजपा राक्षत्मक भूमिका में नजर आई। एक बड़ी वजह यह भी रही कि पिछले दोनों चुनावों की तुलना में हरियाणा में इस बार मतदान कम हुआ। लोगों में निराशा दी और वोट डालने में उनकी दिलचस्पी दिखाई नहीं दी। पिछले दो चुनावों में सभी सीटें जीतने वाली भाजपा ने इस बार अंबाला, रोहतक, सिरसा, सोनीपत और हिसार की सीटें खो दीं। भाजपा फरीदाबाद, गुड़गांव, भिवानी-महेंद्रगढ़, करनाल और कुरुक्षेत्र सीटें ही बरकरार रख पाई।

लोगों में साढ़े नौ साल तक CM रहे मनोहर लाल खट्टर की पोर्टल की नीतियों को लेकर भी नाराजगी थी। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने इसे समझते हुए ही उन्हें हटा कर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया था। लेकिन भाजपा का यह दांव भी कारगार साबित नहीं हो पाया। नायब सैनी ने पूरे हरियाणा में रैलियां तो खूब की, लेकिन जाट, मुस्लिम और दलित मतदाताओं को भाजपा की तरफ खींच पाने में सफल नहीं हो पाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और उतार प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रैलियों का भी भाजपा को ज्यादा लाभ नहीं मिल पाया।

हरियाणा से दोनों केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह व कृष्णपाल गुर्जर, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और मौजूदा सांसद धर्मवीर पर जरूर लोगों ने भरोसा जताया। कभी आगे-कभी पीछे रहते हुए पूर्व सांसद जिंदल ने भी किसी तरह से अपनी कुरुक्षेत्र सीट निकाल ही ली।

राज्यसभा की सीट के लिए उप चुनाव 

हरियाणा में जल्दी ही राज्यसभा की एक सीट पर उप चुनाव कराया जाएगा। यह सीट कांग्रेस उम्मीदवार दीपेंद्र सिंह हुड्डा के रोहतक लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतने पर खाली होगी। दीपेंद्र ने भाजपा के उम्मीदवार डॉ. अरविंद शर्मा को हराया है। पिछले चुनाव में डॉ. शर्मा ने दीपेंद्र को मात दी थी। इस बार दीपेंद्र ने अपनी पिछली हार का बदला ले लिया है।

हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में इस समय 87 सदस्य हैं। भाजपा के विधायकों की तादाद 40 है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी करनाल विधानसभा क्षेत्र से उप चुनाव जीत गए हैं। हरियाणा लोकहित पार्टी के एक विधायक गोपाल कांडा के साथ ही आज़ाद विधायक नयनपाल रावत का समर्थन भी भाजपा के साथ है। ऐसे में यह संख्या 43 हो जाती है।

दूसरी तरफ सदन में कांग्रेस के 30 विधायक हैं। मुलाना क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक वरुण चौधरी अंबाला क्षेत्र से सांसद चुन लिए गए हैं। उनके इस्तीफे के बाद कांग्रेस के विधायकों की तादाद 29 रह जाएगी। तीन आज़ाद विधायकों का समर्थन भी कांग्रेस के साथ है। जननायक जनता पार्टी (जजपा) के 10 और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) का भी एक विधायक है। एक आज़ाद विधायक बलराज कुंडू भी भाजपा के साथ नहीं हैं। ऐसे में विपक्ष के विधायकों की कुल तादाद 44 बनती है।

दीपेंद्र हुड्डा के राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफे के बाद उप चुनाव में अगर कांग्रेस अपना उम्मीदवार खड़ा करती है तो उसे जीत के लिए जजपा, इनेलो और आज़ाद विधायक कुंडू का समर्थन हासिल करना जरूरी होगा। समर्थन के बावजूद क्रॉस वोटिंग का भी खतरा बना रहेगा। भले बहुमत का आंकड़ा विपक्ष के पास है, लेकिन किसी भी तरह से कोशिश यही रहेगी कि भाजपा इस सीट को जीत ले। ऐसे में राज्यसभा के लिए होने वाला यह उप चुनाव काफी दिलचस्प होगा।

 लेकिन हरियाणा में मुलाना क्षेत्र से भले ही कांग्रेस के विधायक वरुण चौधरी सांसद चुन लिए गए हैं, फिर भी इस सीट पर उप चुनाव नहीं कराया जाएगा। विधानसभा के आम चुनाव इसी साल अक्टूबर में होने हैं। ऐसे में आम चुनावों में पांच महीने का ही समय बाकी रह गया है। मुलाना सीट खाली तो घोषित हो जाएगी, लेकिन इस पर उप चुनाव कराए जाने की कोई संभावना नहीं है।

 नायब सैनी सरकार को नहीं है कोई खतरा 

हरियाणा में विपक्षी दलों की तरफ से लगातार राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग पर विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा है कि नायब सिंह सैनी सरकार को किसी तरफ का कोई खतरा नहीं है. भाजपा सरकार के पास पूर्ण बहुमत है।

सदन में बहुमत साबित करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग पर गुप्ता ने कहा कि इसकी कोई जरूरत नहीं है। हालांकि, इस बारे में राज्यपाल को ही निर्णय लेना है। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास 41 विधायक हैं। मुख्यमंत्री नायब सैनी करनाल क्षेत्र से उप चुनाव में विधायक चुन लिए गए हैं। जल्दी ही विधायक पद की शपथ लेने के लिए उन्हें विधानसभा में बुलाया जाएगा।

 नायब सरकार के बहुमत खो देने के सवाल पर गुप्ता ने कहा कि कांग्रेस के पास सिर्फ 30 विधायक हैं। इनमें से एक विधायक वरुण चौधरी अंबाला से सांसद चुन लिए गए हैं। ऐसे में कांग्रेस विधायकों की तादाद घट कर अब 29 रह गई है। 

बता दें कि कांग्रेस सहित सदन में विपक्ष के विधायकों की कुल तादाद इस समय 44 है। हाल ही में तीन निर्दलीय विधायक भाजपा से समर्थन वापस ले कर कांग्रेस के पाले में आ गए थे। इसके बाद से ही विपक्षी दलों की तरफ से नायब सैनी सरकार को अल्पमत में बताते हुए राज्यपाल से लगातार हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की जा रही है।

मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना 

हरियाणा मंत्रिमंडल में लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद फेरबदल की संभावना है। बड़े पैमाने पर अफसरों को भी इधर से उधर किया जाएगा। आचार संहिता हटने का इंतजार कर रहे मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी पार्टी के कई निष्ठावान नेताओं को बोर्डों-निगमों की चेयरमैनी भी सौंपेंगे। चुनाव प्रचार के दौरान जिस तरह से तीन निर्दलीय विधायक भाजपा का साथ छोड़ कर कांग्रेस के साथ जुड़े हैं, उससे नायब सैनी सरकार सतर्क हो गई है। विधायकों की नाराजगी को देखते हुए एक-दो को मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है। जननायक जनता पार्टी (जजपा) के साथ भाजपा का गठबंधन टूटने से खाली हुए पदों पर कुछ विधायकों की नियुक्ति हो सकती है।

 मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही नायब सैनी को लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार के लिए हरियाणा के दौरे पर निकलना पड़ा था, ऐसे में वे आचार संहिता लागू होने की वजह से खाली पदों पर चेयरमैनों की नियुक्ति नहीं कर पाए थे। हरियाणा में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए आने वाले चुनावों को ध्यान में रखते हुए ही मुख्यमंत्री सैनी इसी महीने नई नियुक्तियां करे देंगे। लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद अगर हिसार क्षेत्र से रणजीत सिंह चौटाला जीत जाते हैं तो वे बिजली मंत्री का पद छोड़ देंगे। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के पोते भव्य बिश्नोई या फिर आज़ाद विधायक नयनपाल रावत को बिजली मंत्री की जिम्मेदारी दी जा सकती है।

 मुख्यमंत्री दफ्तर में भी कुछ अफसरों को बदला जा सकता है। कई जिले के डिप्टी कमिश्नर और पुलिस अधीक्षक भी हटाए जाएंगे। चुनाव के दौरान कई अफसरों की शिकायत मुख्यमंत्री के पास पहुंची हैं। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पहले ही कह चुके हैं कि आचार संहिता हटने के बाद अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 

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