ब्यूरोः जुलाई में भारत में खुदरा महंगाई की दर गिरकर 3.54 प्रतिशत पर आ गई, जो लगभग पांच वर्षों में पहली बार रिजर्व बैंक के 4 प्रतिशत लक्ष्य से नीचे है। सोमवार को सरकार की ओर से जारी आंकड़ों से ये जानकारी सामने आई। अगस्त 2019 में खुदरा महंगाई की दर 3.28 प्रतिशत रही थी।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में खाद्य वस्तुओं की महंगाई 5.42 प्रतिशत रही, जो जून में 9.36 प्रतिशत थी। बता दें पिछली बार महंगाई 4 प्रतिशत से नीचे अगस्त 2019 में थी।
जून में खाद्य महंगाई दोगुनी
खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें भारतीय उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी चिंता का विषय रही हैं। जून में खाद्य महंगाई साल-दर-साल लगभग दोगुनी हो गई है। यह 2023 के इसी महीने में 4.63 प्रतिशत की तुलना में बढ़कर 8.36 प्रतिशत हो गई। खाद्य पदार्थों की कीमतों में यह लगातार वृद्धि भारतीय नीति निर्माताओं के लिए एक चुनौती रही है, जिनका लक्ष्य खुदरा महंगाई को 4 प्रतिशत पर बनाए रखना है। हालांकि, हाल ही में महंगाई के आंकड़े इस लक्ष्य की ओर प्रगति का संकेत देते हैं। मई में वार्षिक खुदरा महंगाई 12 महीने के निचले स्तर 4.75 प्रतिशत पर आ गई, जो अप्रैल में 4.83 प्रतिशत से थोड़ी कम है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) ने पिछले साल दिसंबर में 5.7 प्रतिशत दर्ज किया था, लेकिन तब से इसमें नरमी आ रही है। हालांकि खुदरा महंगाई RBI के 2-6 प्रतिशत के आरामदायक क्षेत्र के भीतर रही है, लेकिन यह पहले आदर्श 4 प्रतिशत लक्ष्य से ऊपर थी।
कई देशों के लिए महंगाई चिंता का विषय
वैश्विक स्तर पर महंगाई एक चिंता का विषय रही है, लेकिन भारत ने अपनी महंगाई प्रक्षेपवक्र को अपेक्षाकृत प्रभावी ढंग से नेविगेट करने में कामयाबी हासिल की है। जून को छोड़कर महीने-दर-महीने खुदरा महंगाई में कमी आई है। आरबीआई द्वारा लगातार नौवीं बार रेपो दर को अपरिवर्तित रखने के निर्णय के बाद आई है।